अगर मैं पीछे हट जाती तो... कौन हैं दबंग लेडी अफसर सुनीता मीणा, जिनके नाम से ही कांपते हैं बड़े-बड़े माफिया

नई दिल्ली: सोनिया मीणा... एक ऐसा नाम, जो मध्य प्रदेश के प्रशासनिक गलियारों में एक दिलेर महिला अफसर के तौर पर गूंजता है। ऐसी आईएएस अफसर, जिनके नाम से ही अवैध खनन करने वाले माफिया कांपते हैं। सोनिया मीणा ने ना केवल अवैध खनन माफियाओं पर शिकंजा कसा,

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नई दिल्ली: सोनिया मीणा... एक ऐसा नाम, जो मध्य प्रदेश के प्रशासनिक गलियारों में एक दिलेर महिला अफसर के तौर पर गूंजता है। ऐसी आईएएस अफसर, जिनके नाम से ही अवैध खनन करने वाले माफिया कांपते हैं। सोनिया मीणा ने ना केवल अवैध खनन माफियाओं पर शिकंजा कसा, बल्कि आदिवासियों की जमीन की भी रक्षा की। मूल तौर पर राजस्थान की रहने वालीं सोनिया मीणा इस समय मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम में जिला कलेक्टर के पद पर हैं।
2013 बैच की आईएएस अधिकारी सोनिया मीणा का जन्म राजस्थान में एक नौकरशाही परिवार में हुआ। परिवार में कई सदस्यों के पहले से सरकारी सेवा में होने के कारण, उन्हें बचपन से ही सिविल सर्विस की अहमियत समझ आने लगी थी। बस फिर क्या था, सोनिया ने भी तय कर लिया कि वो भी प्रशासनिक अधिकारी बन एक बेहतर समाज के निर्माण में अपना योगदान देंगी।

यूपीएससी की परीक्षा क्लियर करने के बाद सोनिया को मध्य प्रदेश कैडर मिला। राजगढ़ में सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट से लेकर उमरिया और मुरैना में जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी तक, सोनिया ने प्रशासनिक अफसर के तौर पर अलग-अलग पदों पर अपनी सेवाएं दीं। हालांकि, अनूपपुर जैसे दूर-दराज में बसे और संसाधनों से भरे जिले में कलेक्टर के तौर पर उनकी असली परीक्षा हुई।

वो साल 2017 था, जब छतरपुर जिले में रेत माफिया के साथ सोनिया मीणा का आमना-सामना हुआ। यह उनके करियर में एक बड़ा मोड़ भी साबित हुआ। इंडियन मास्टरमाइंड्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सोनिया बताती हैं कि छतरपुर में एसडीएम रहते हुए, वह खनन स्थलों का नियमित तौर पर निरीक्षण कर रही थीं। ऐसे ही एक दौरे के दौरान उन्हें अवैध रेत से भरी एक ट्रैक्टर-ट्रॉली मिली।

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सुरक्षाकर्मियों से ही भिड़ गया था क्रिमिनल

इस अवैध रेत को ले जा रहा आदमी एक पुराना क्रिमिनल अर्जुन सिंह था, जो ट्रैक्टर रोके जाने पर सोनिया मीणा के सुरक्षाकर्मियों से ही हाथापाई करने लगा। उसे तुरंत गिरफ्तार किया गया और आईएएस सोनिया ने उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया। सोनिया मानती हैं कि एक प्रशासनिक अफसर के तौर पर कानून को बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी है। अगर वह पीछे हट गईं, तो उन लोगों का क्या होगा जिनकी उन्हें सेवा करनी है।

अलग-अलग पदों पर निभाई जिम्मेदारी

इसके बाद उन्हें अलग-अलग जिलों में तैनाती मिली। उमरिया और मुरैना में विकास कार्यों के मैनेजमेंट से लेकर, मध्य प्रदेश पर्यटन निगम के प्रबंध निदेशक के तौर पर भी सोनिया मीणा ने जिम्मेदारी निभाई। बाद में, अनूपपुर में जिला कलेक्टर रहते हुए सोनिया को कोयला खनन कार्यों के मैनेजमेंट और कोल इंडिया के साथ एक सही समन्वय बिठानें में नई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

मैनेजमेंट भी और कानून का पालन भी

अनूपपुर में ही उन्हें कोयले का खनन करने वाले माफियाओं से भी जूझना पड़ा। सोनिया बताती हैं कि अनूपपुर की चुनौतियां अलग थीं। खनन क्षेत्र के मैनेजमेंट के अलावा कानून-व्यवस्था के अलग-अलग मुद्दों से जूझना पड़ा, खासकर जब आदिवासी भूमि के अवैध अतिक्रमण और अवैध खनन माफिया की बात आती।

एक साल में डबल किया जुर्माना

ऐसे में सोनिया मीणा ने रेत ले जाते समय ओवरलोडिंग को रोकने के लिए अभियान शुरू किए। ट्रैक्टर, ट्रॉलियों और उन नावों को जब्त किया गया, जो अवैध खनन गतिविधियों के लिए उपयोग किए जा रहे थे। इस कार्रवाई में उन्होंने अवैध खनन के खिलाफ जो जुर्माना लगाया है, वह पिछले साल की तुलना में दोगुना निकला। सोनिया बताती हैं कि आने वाले वर्षों में भी ऐसा ही जारी रहेगा।

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जमीन की धोखाधड़ी पर लगाई लगाम

अनुपपुर में रहते हुए सोनिया ने जमीन की धोखाधड़ी के ऐसे कई मामलों का पर्दाफाश किया, जिनमें गैर-आदिवासियों को आदिवासी भूमि अवैध रूप से ट्रांसफर करने के लिए उनके नकली दस्तखत और अदालती आदेशों का इस्तेमाल किया गया था। सोनिया बताती हैं कि उन सभी लोगों के ऊपर एक्शन लिया गया, जो नकली दस्तावेजों के जरिए इस तरह की धोखाधड़ी कर रहे थे।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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